आपके शरीर में किशोरावस्था के दोरान होने वाले परिवर्तन

किशोरावस्था

यदि आपकी आयु 11 से 18 वर्ष के बीच है तो आप एक किशोर हैं। किशोरावस्था बाल्यकाल और युवावस्था के मध्य की अवस्था है। क्यूंकि आप एक किशोर हैं, हो सकता है आपने पहले से ही स्वयं में और अपने मित्रों में अनेक परिवर्तनों को देखा हो।

आपमें से कुछ लोग ने इन परिवर्तनों को अन्य लोगों की अपेक्षा थोड़ा पहले ही अनुभव कर चुके होंगे। चूंकि इन परिवर्तनों में कुछ बहुत जल्दी होते हैं इसीलिए इनके तथा आने वाले परिवर्तनों के बारे में थोड़ा भ्रमित होना स्वाभाविक है।

किशोरावस्था या यौवनारम्भ के संकेतों के साथ शुरू होती है। यौवनारम्भ शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों की शृंखला की शुरुवात है जिसके कारण प्रजनन परिपक्वता का विकास होता है।

वृद्धि तीव्रता

पहला परिवर्तन जो आप में से कुछ लोगों ने पहले से ही अनुभव किया होगा वो शारीरिक वृद्धि में अचानक वृद्धि तीव्रता है। क्योंकि शरीर के अन्य भागों की तुलना में भुजाओं और पैर की बहुत तेजी से वृद्धि होती है। आप कुछ कुछ बेडौल या अटपटे से दिख सकते हैं।

 

यौवनारम्भ के समय परिवर्तन

यौवनारम्भ के संकेत अलग अलग व्यक्तियों तथा लड़कियों एवं लड़कों में अलग अलग होते हैं।

प्रारम्भ में लड़कियां लड़कों की अपेक्षा तेजी से बढ़ती हैं लेकिन लड़के 17 या 18 वर्ष की आयु होते होते अपनी अधिकतम लंबाई प्राप्त कर लेते हैं।

यौवनारम्भ के समय लड़कों और लड़कियों की शारीरिक बनावट में भी परिवर्तन हो जाता है। लड़कों के सीने चौड़े तथा कंधे मजबूत हो जाते हैं, जबकि लड़कियों के कूल्हे कमर का निचला भाग चौड़ी हो जाते हैं। किशोरावस्था में लड़कों के स्वर यंत्र का आकार बढ़ जाता है, जिससे उनकी आवाज़ भारी हो जाती है।

यौवनारम्भ में पुरुषों और स्त्रियों में लैंगिक अंग भी विकसित होने लगते हैं। लड़कियों में ऋतु स्राव की शुरुवात तब होती है जब अंडाशय पूरी तरह विकसित हो जाते हैं और परिपक्व अंडों को उत्पन्न करने लगते हैं।

लड़कों में वृषण और शिश्न लिंग जैसी लैंगिक अंग पूरी तरह से विकसित होकर वयस्क आकार में पहुंच जाते हैं। वृषण शुक्राणु उत्पन्न करने लगता है।

ऐसे में लड़कों और लड़कियों दोनों ही में कुछ गौण लैंगिक लक्षण भी विकसित होने लगते हैं जैसे कि उनकी बगल और तिब्बत क्षेत्र में बाल। लड़कों की दाढ़ी मूंछ और सीने पर बाल आ जाते हैं। लड़कियों में स्तन विकसित होने लगते हैं।

यौवनारम्भ के समय स्वेद ग्रंथियों और तेल ग्रंथियों का स्राव भी बढ़ जाता है। इस कारण आप मुंहासों की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं।

इन शारीरिक परिवर्तनों के अतिरिक्त आप अधिक आत्मनिर्भर हो जाएंगे और भावनात्मक परिपक्वता भी विकसित करेंगे।

आपमें बौद्धिक विकास भी होगा और सोचने विचारने में काफी समय व्यतीत करेंगे।

हार्मोन्स

किशोरावस्था के दौरान होने वाले परिवर्तन हार्मोनों द्वारा उत्पन्न होते हैं। हार्मोनों वहां रासायनिक पदार्थ है. जो अन्तः ग्रंथियों द्वारा स्रावित किये जाते हैं।

इन हार्मोनों का उत्पादन पीयूष ग्रंथि द्वारा नियंत्रित किया जाता है। पीयूष ग्रंथि से स्रावित हार्मोन्स टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन मुक्त करने के लिए वृषण और अंडाशय को उत्प्रेरित करते हैं। ये हॉर्मोन्स रुधिर प्रवाह में स्रावित किये जाते हैं, जो यौवनारम्भ के समय शरीर विभिन्न में परिवर्तनों को उत्प्रेरित करते हैं।

टेस्टोस्टेरोन किशोरों गौण लैंगिक लक्षणों को विकसित करता है जैसे कि दाढ़ी मूंछ और लैंगिक अंगों का विकास।

एस्ट्रोजन के कारण स्तनों तथा स्तनों के भीतर स्तन ग्रंथियों का विकास होता है। इसके कारण श्रोणि एवं नितंब बर्थ बीच चौड़े हो जाते हैं।

क्योंकि ये समय शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तनों का होता है इसीलिए आप शरीर और मस्तिष्क में आए परिवर्तनों के प्रति अपने आपको ढालने का प्रयास करते समय और सहज महसूस कर सकते हैं क्यूंकि सभी परिवर्तन वृद्धि प्रक्रिया का एक प्राकृतिक भाग है इसीलिए चिन्ता ना करें।

 

 

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